केदारनाथ की यात्रा का बजट कितना होना चाहिए।
2024-05-11 10:23:31<p>दोस्तों वेसे तो केदारनाथ की यात्रा में आने वाला खर्चा आप पर ही निर्भर करता है, क्योंकि आप जितनी अच्छी सुख सुविधाओं का उपयोग करेंगे तो आपका खर्चा बढ़ता ही रहेगा। औसतन खर्च की बात करें तो केदारनाथ यात्रा का बजट कम से कम प्रति व्यक्ति<strong> ₹6,000 रुपये से ₹14,000 </strong>रुपये के बीच हो सकता है। या इससे भी ज्यादा हो सकता है। इसमें आने-जाने (ट्रेन, बस या टैक्सी द्वारा) का खर्च, ओर ठहरने और भोजन आदि भी सामिल है।</p>
केदारनाथ से गंगोत्री कितनी दूर है?
2024-05-11 09:58:23<p>सड़क मार्ग से केदारनाथ और गंगोत्री के बीच की दूरी 408-409 किलोमीटर तक है। जिसको तय करने में 9 घंटे 22 मिनट का समय लगता है, कुछ लोग कहते हैं कि गंगोत्री और केदारनाथ के बीच की दूरी 144 किलोमीटर कम करने के लिए एक नई सड़क बनाई जा रही है। </p> <div class="gtx-body">गंगोत्री से केदारनाथ की हवाई दूरी 31 किलोमीटर की है। </div> <p> <a title="गंगोत्री धाम यात्रा कैसे करें, सम्पूर्ण जानकारी" href="https://livepahadi.in/gangotri-kaise-jaye" target="_blank" rel="noopener">गंगोत्री धाम की यात्रा</a> कैसे करें, सम्पूर्ण जानकारी पढ़ें। </p>
केदारनाथ जाने के लिए कौन सा महीना सुरक्षित है?
2024-04-09 16:09:35<p>केदारनाथ जाने के लिए सुरक्षित <strong>अप्रैल से जून का</strong> महीना सबसे अच्छा होता है क्योंकि मौसम अच्छा होता है। अधिकतम यात्री इसी समय को ज्यादा अच्छा मानते है। </p>
केदारनाथ धाम यात्रा 2024 की शुरुआत
2024-04-08 16:45:02<p><strong>केदारनाथ मंदिर 2024 के खुलने की तारीख तय, धार्मिक महत्व और महत्वपूर्ण जानकारी</strong></p> <p>2024 की धार्मिक यात्राओं के लिए एक महत्वपूर्ण समाचार आया है, जो केदारनाथ मंदिर के खुलने की तारीख के बारे में है। इस साल, केदारनाथ मंदिर 10 मई, 2024 को सुबह 6:20 बजे खुलेगा, और इसका बंद होने का दिन 20 नवंबर, 2024 होगा, जब भाई दूज मनाया जाएगा।</p> <h2 data-sourcepos="7:1-7:49"><strong>केदारनाथ धाम यात्रा 2024 - महत्वपूर्ण जानकारी</strong></h2> <ul data-sourcepos="9:1-11:0"> <li data-sourcepos="9:1-9:51"><strong>कपाट खुलने की तिथि:</strong> 10 मई 2024, सुबह 6:20 बजे</li> <li data-sourcepos="10:1-11:0"><strong>कपाट बंद होने की तिथि:</strong> 20 नवंबर, 2024 (भाई दूज)</li> </ul> <p>केदारनाथ मंदिर चारधाम यात्रा मार्ग का हिस्सा है, और भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहाँ तक कि यहाँ पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर की त्रिमूर्ति के रूप में पूजा जाता है। यहाँ की सुंदरता, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के कारण यह स्थान दुनियाभर में लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।</p> <p>केदारनाथ मंदिर के खुलने के समय, यहाँ भगवान के भक्तों की भीड़ लगती है, जो अपने आत्मिक और धार्मिक उत्साह के साथ इस धार्मिक स्थल का दर्शन करने आते हैं। यह समय भगवान के आशीर्वाद और शांति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।</p> <p>इस वर्ष, ज्योतिर्लिंग केदारनाथ के मंदिर के खुलने की तारीख का इंतजार उन सभी भक्तों के लिए होगा, जो अपने आत्मिक संबल के लिए यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। इस समय केदारनाथ मंदिर में आध्यात्मिक अनुभव को और भी गहराई देने का एक अद्वितीय अवसर प्राप्त होता है।</p> <h2 data-sourcepos="7:1-7:49"><strong>केदारनाथ धाम 2024 </strong><strong>यात्रा की तैयारी</strong></h2> <ul data-sourcepos="22:1-25:0"> <li data-sourcepos="22:1-22:187"><strong>शारीरिक स्वस्थता:</strong> केदारनाथ यात्रा की सबसे मूलभूत आवश्यकता है अच्छी शारीरिक स्थिति। ऊंचाई, ठंड, और लंबे पैदल मार्ग चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। यात्रा से पहले अपनी स्वास्थ्य जांच करवाएं।</li> <li data-sourcepos="23:1-23:93"><strong>पंजीकरण:</strong> उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर यात्रा के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य है।</li> <li data-sourcepos="24:1-25:0"><strong>आवश्यक सामान:</strong> मौसम के अनुसार गर्म कपड़े, रेनकोट, यात्रा के जूते, दवाइयां, टॉर्च इत्यादि साथ अवश्य रखें।</li> </ul>
केदारनाथ को पंच केदार के नाम से भी जाना जाता है। अन्य चार केदार कौनसे हैं
2024-03-05 10:19:48<p data-sourcepos="14:3-14:54">पंच केदार में निम्नलिखित मंदिर शामिल हैं:</p> <ul data-sourcepos="15:5-20:0"> <li data-sourcepos="15:5-15:14">केदारनाथ</li> <li data-sourcepos="16:5-16:13">तुंगनाथ</li> <li data-sourcepos="17:5-17:14">रुद्रनाथ</li> <li data-sourcepos="18:5-18:17">मध्यमहेश्वर</li> <li data-sourcepos="19:5-20:0">कल्पेश्वर</li> </ul>
केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?
2024-03-05 10:18:00<p>केदारनाथ मंदिर के निर्माण का सटीक इतिहास अज्ञात है, लेकिन यह माना जाता है कि महाभारत काल के बाद पांडवों ने इसका निर्माण कराया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने इसे बनवाया था।</p>
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